नई शुरूआत
छठ गए हैं बादल।
धरती से है किरणें टकराई।
मन में फिर आशा जगी।
कि फिर एक नई शुरूआत होगी।
नई कलियाॅ गुलाॅब की खिल रही है।
नई महक से धरती महकाई।
मन में फिर एक आह जगी।
कि फिर एक नई शुरूआत होगी।
रात का अधंेरा छट रहा है।
भीतर बाहर की छटा जगमगाई।
मन में फिर एक ख्वाब जगा।
कि फिर एक नई शुरूआत होगी।
नए चेहरे,
नई बातें,
नई योजनाएॅ,
नऐ किस्से,
बचपन पीछे छोड़ नई उमर ने है सेंध लगाई
मन में फिर एक स्वप्न जगा है कि फिर एक नई शुरूआत होगी।
वीर ने तीर साधा।
निशाने पर है नजर लगाई ।
विस्मित होगे सब जगवासी।
मन में फिर है विजय ध्वनी गंुजाई।
कि फिर एक नई शुरूआत होगी।